कटी पतंग सी खड़ी। भीगी पलकें। सवालों पर सवाल। तलाशती जवाब। कटी पतंग सी खड़ी। भीगी पलकें। सवालों पर सवाल। तलाशती जवाब।
हर बार नए घरौंदे बनाने में लग जाती हूं हर बार नए घरौंदे बनाने में लग जाती हूं
गूँज रही इन लाखों आवाज़ों में, शब्द तलाशती वो दबी आवाज़ गूँज रही इन लाखों आवाज़ों में, शब्द तलाशती वो दबी आवाज़
जो सुबह की पहली किरण था मेरा । जो सुबह की पहली किरण था मेरा ।
स्वीकृति के आंगन में। अनुभूतियों का विस्तार है। मन के मन से। जुड़ते तार हैं। स्वीकृति के आंगन में। अनुभूतियों का विस्तार है। मन के मन से। जुड़ते त...
उड़ते पंछी के पंख कब कट गए पंछी को भी नहीं पता चला, उड़ते पंछी के पंख कब कट गए पंछी को भी नहीं पता चला,